मैं लोहे का नहीं हूँ , एक साधारण इन्सान हूँ
मैं दुखी हुआ था जब अपनों को YMCA में छोड़ा था
पर मेरा हर एक साथी सक्षम है,. इसका मुझे गर्व है
मैं एक मज़बूत विभाग को छोड़ के आया हुं, इसकी मुझे ख़ुशी है।
फिर भी में आहत हुं ---
कार के शीशे के बाहर फैले हाथ मुझे ज़िन्झोड़ते हैं
नन्हे नन्हे हाथों में प्रषाद डालते समय, मैं रो पड़ता हूँ मंदिर के बाहर
मैं रो पड़ता हूँ उस बूड़े को देख जो सड़क पर बैठा खला में झांकता रहता है।
मुझे गुस्सा आता है इन बहरे राजनीतज्ञों पर जो जवानों की मौत पर सियासत करते हैं
मैं आहत होता हुं , इसलिए के ये सब मेरे हैं , मेरे समाज के हैं , मेरे देश के हैं।
हाँ मैं आहत होता हुं ,किसी अपने को परेशान देखकर।
मुझे आशा है ---
मैंने देखा है बिगैर टांगों के साधू को अमरनाथ जाते हुए
हाथों में खड़ाओं पहने वोह चड़ता चला गया बर्फीले पहाड़ , न थका , न रुका
मेरे साथ गया था वाडू दस हज़ार फुट की ऊँचाई पर बिजली महादेव के दर्शन के लिए
वोह मेरा दोस्त वाड़ू जिसकी एक टांग में लकवा था , वोह हटा नहीं , वोह रुका नहीं
रिक्शा चलाती औरतें देखी हैं मैने ,
और देखें हैं दिन में १६ घंटे काम करने वाले कामगर खेतों में पंजाब के
मुझे उम्मीद है
अन्ना हजारे से , आम आदमी से ,
और भारत की मज़बूत विरासत से
अशोक
Thought to ponder....
Culture means giving up one's bad conduct, bad behaviour,
bad deeds and cultivating good thinking, fostering good sentiments that
lead to good actions.
Bhagwan Sri Satya Sai Baba
No comments:
Post a Comment