Saturday, January 12, 2013

नंगो की जमात


जो भारत एक वीरों  का देश था वोह आज कहाँ खो गया है? जिस तरफ़ देखो  भय  का वतावरण  है। दुश्मन सरहदों  से  आँख दिखाता  है और आतंकवादी अंदर  से उत्पात मचाता  है। बाहरवाला अणुशक्ति की धोंस पर  जीता है और अंदर वाला साम्प्रदाइक शक्तिओं  के पीछे छुप  कर वार करता  है। 

राजनेता  कुर्सी की सम्भाल  में जुटें हैं।  आम आदमी मेह्गाईं  की मार से त्रस्त है। लूट खसोट के   बाजार में जो जितना बड़ा चोर वो उतना बड़ा शख्स। चोरों का देश से क्या लेना देना। उल्टा चोरी  का सामान तो विदेश मैं ही जमां है। इसलिए पश्चिम भक्ति जरूरी है ओर उसका पुरज़ोर प्रचार उससे  भी जरूरी हो जाता है। 

 खुलेपन  के नाम पर  नंगा नाच और नाच का बखान इस जमाने के उच्च वर्ग  की  पहचान बन गया है। नंगो  की इस जमात में जो कपड़ों  की बात करे  वो चोर या कम्सकम पुराने विचारों वाला रूर्डिवादी  गँवार।

इन नंगो को कुछ फर्क नंही पड़ता भले ही हमारे जवानों को सरहद पर दुश्मन मार  जाए, उनके अंग काट कर बेईज्ज़त करदे और छाती ठोक कर ललकारे और कहे - "हिमाकत मत कर बैठना, मैं एक अणु शक्ति हुं "

कबतक हम इस गीदड़ भभकी को सुनेगे और सहेंगे ? कब हम अपने  इस नंगेपन को ढकेंगे  इक शर्म के आवरण से। समय आ गया है कि हम सम्राट अशोक से कहें कि अपना फैसला वापस लो। दुबारा तलवार उठाओ कलिंग से मत घबराओ , हमें कमजोर मत बनाओ। साधू जरूरी है पर साधुओ को बचाने के लिए मजबूत राजा की जरूरत होती है। जब राजा ताकतवर होता है तो देश मजबूत बनता है और आस पास के छुट्भइए मुल्क हाथ जोड़ कर नमन करते है।

एक भारतीय 

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