Sunday, November 4, 2012

बस ऐसे ही


अरनब गोस्वामी  की  इंतज़ार लंबी लगती है 
                  बहरे राजनितीगों पर बहस और भी लंबी लगती है 
 लंबी  लंबी बातें सोचता   हुं 
                  खुली आँखों से ये रात बहुत लंबी  लगती है

सुबह  सुबह की भाग  दौड़  लंबी लगती है
                  दिन  के 9 से 5 की  दूरी और भी लंबी लगती है
 लंबी  लंबी क्लास लेता हुं 
                  सियासत से भरी ये नोकरी बहुत लंबी लगती है

तन्खवाह की इन्तेजार लंबी  लगती है
                 इन्क्रीमेंट की पावत और भी लंबी  लगती है
 लंबी  लंबी  डी ए की किश्त लगती हैं
                   मुझे तो ये महेंगाई  बहुत लंबी लगती है

क्रासिंग की बत्ती लंबी लगती है
                   हर  सड़क और भी लंबी लगती है
 लंबी  लंबी यात्राऐं करता  हूँ
                   मुझे तो ये जिंदगी बहुत लंबी लगती है

अशोक

Thought to ponder...

Your very speech should be soft. Not only soft but also truthful.

Bhagwan Sri Satya Sai Baba

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